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बिना लक्षण दिए शरीर को नुकसान पहुंचा रहा है प्रोस्टेट कैंसर, पुरुषों में तेजी से बढ़ रहा खतरा, जानिए पूरी जानकारी

पुरुषों में तेजी से बढ़ रहे प्रोस्टेट कैंसर ने स्वास्थ्य जगत में चिंता की लकीरें खींच दी हैं। अक्सर पुरुष अपनी सेहत को लेकर सतर्क रहते हैं, लेकिन कई बार ऐसे छुपे हुए खतरों से अनजान रह जाते हैं जो समय पर पहचान न होने पर गंभीर रूप ले लेते हैं। प्रोस्टेट कैंसर भी ऐसी ही एक बीमारी है जो धीरे-धीरे और चुपचाप पनपती है, तथा इसके शुरुआती लक्षण भी अक्सर नजर नहीं आते। आइए जानते हैं कि किन पुरुषों को इस बीमारी का खतरा ज्यादा होता है और इसे कैसे नियंत्रित किया जा सकता है।

प्रोस्टेट कैंसर क्या है?

प्रोस्टेट एक ग्रंथि होती है जो पुरुषों के मूत्राशय के नीचे और मूत्र नली के आसपास स्थित होती है। यह ग्रंथि वीर्य (सेमेन) बनाने और प्रजनन में सहायता करने का कार्य करती है। जब इस ग्रंथि की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं, तो वे ट्यूमर बनाती हैं जो शरीर के अन्य हिस्सों में फैल सकती हैं। इसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है।

किन पुरुषों को ज्यादा खतरा?प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कुछ खास समूहों में अधिक होता है। सबसे पहले, उम्र एक महत्वपूर्ण कारक है; 40 से 45 वर्ष की उम्र के बाद इसका जोखिम बढ़ने लगता है और 60 वर्ष के बाद यह और भी ज्यादा हो जाता है। इसके अलावा, यदि परिवार में किसी सदस्य को पहले प्रोस्टेट कैंसर हो चुका है, तो यह जोखिम और बढ़ जाता है, जिसे मेडिकल भाषा में ‘फैमिलियल रिस्क’ कहा जाता है। इसके साथ ही, गलत लाइफस्टाइल जैसे अधिक जंक फूड, तैलीय भोजन, धूम्रपान, शराब का सेवन और मोटापा भी इस बीमारी के खतरे को बढ़ाते हैं। इसके अलावा, हार्मोनल बदलाव, खासकर टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के असंतुलन से प्रोस्टेट की कोशिकाओं में असामान्य वृद्धि होने का खतरा बढ़ जाता है।

शुरुआती लक्षण अक्सर नहीं दिखते

प्रोस्टेट कैंसर को ‘साइलेंट किलर’ कहा जाता है क्योंकि इसके शुरुआती लक्षण लगभग नहीं दिखाई देते। बार-बार पेशाब आना, पेशाब में जलन या रुकावट जैसे संकेत तब तक नहीं महसूस होते जब तक कैंसर काफी बढ़ न जाए। इसलिए, जोखिम वाले पुरुषों को नियमित जांच कराना जरूरी है।

डायग्नोसिस के लिए कौन-कौन से टेस्ट जरूरी हैं?

– PSA टेस्ट: खून में प्रोस्टेट-विशिष्ट एंटीजेन की मात्रा जांची जाती है।

– डिजिटल रेक्टल एग्जाम (DRE): डॉक्टर प्रोस्टेट ग्रंथि की जांच हाथ से करते हैं।

– आवश्यकता पड़ने पर MRI और बायोप्सी भी कराई जाती है।

बचाव के उपाय

– संतुलित आहार लें जिसमें हरी सब्जियां, फल और फाइबर शामिल हों।

– धूम्रपान और शराब से बचें।

– नियमित व्यायाम करें और वजन नियंत्रित रखें।

– 40 वर्ष की उम्र के बाद सालाना हेल्थ चेकअप कराना न भूलें।

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